गृहस्थ धर्म न केवल वैदिक जीवन के चार आश्रमों में से एक है, बल्कि यह पूरी मानव सभ्यता की नींव भी है। गृहस्थ धर्म वह मंच है जहाँ व्यक्ति धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष — इन चार पुरुषार्थों का संतुलन बनाना सीखता है। यह धर्म जीवन के स्थायित्व, उत्तरदायित्व और सामाजिक संतुलन की नींव रखता है। नीचे हम जानेंगे वे 5 कारण जो स्पष्ट करते हैं कि गृहस्थ धर्म क्यों वैदिक जीवन का सबसे शक्तिशाली और आवश्यक आधार है। धार्मिक जिम्मेदारियों की शुरुआत यहीं से होती है गृहस्थ आश्रम में…
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ब्रह्मचर्य: जानिए 1 मूल वैदिक स्तम्भ जो बनाए आत्मा को शक्तिशाली
ब्रह्मचर्य: 1 मूल वैदिक स्तम्भ जो बनाए आत्मा को शक्तिशाली – यह केवल एक संकल्प नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन की दिशा को नियंत्रित करने वाला नियम है। वैदिक संस्कृति में ब्रह्मचर्य को चार आश्रमों के पहले आश्रम के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है और इसे आत्मा की शक्ति, मन की स्थिरता और जीवन की ऊँचाई का आधार माना गया है। ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल शारीरिक संयम नहीं होता, बल्कि यह मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर स्वयं को एक उच्च ऊर्जा की ओर केंद्रित करने का मार्ग है। यह…
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